दूध पैकिंग टेंडर के बजाय ठेकेदार केे फायदे के लिए गठित की कमेटी

जयपुर डेयरी में नए प्लांट में दूध पैकिंग के लिए किया जा रहा टेंडर आरसीडीएफ और डेयरी अफसरों की आपसी लड़ाई की वजह से अटक गया है। इन दाेनाें की लड़ाई में जयपुर डेयरी काे हर दिन बड़ा नुकसान हाे रहा है। आरसीडीएफ ने ताे टेंडर कराने की बजाय जांच कमेटी का गठन किया। कमेटी गठन के पीछे डेयरी मंत्री प्रमाेद जैन भाया के पत्र का हवाला दिया है।


जयपुर डेयरी ने 13 महीने पहले पुराने प्लांट में पैकिंग हाे रहे 4.50 लाख लीटर दूध प्रतिदिन पैकिंग के लिए टेंडर जारी किया था। दूध पैकिंग की 24.50 पैसे रेट आने पर टेंडर मैसर्स गाेकलराम गुर्जर को दिया गया। इसी दाैरान जयपुर डेयरी ने नए प्लांट तैयार हाेने की वजह से कानाेता में दूध पैकिंग का काम बंद कर दिया।


कानाेता में हाे रहे दूध पैकिंग नए प्लांट में हाेने लगी। डेयरी प्रशासन ने अस्थाई ताैर पर पुराने प्लांट में दूध पैकिंग कर रही मैसर्स गाेकलराम गुर्जर काे नए प्लांट के दूध पैकिंग का ठेका दे दिया। नए प्लांट में करीब 8.30 लाख लीटर दूध प्रतिदिन पैकिंग हाेने लगा। नया टेंडर नहीं किया। सीधे ठेका दे दिया। फर्म संचालक की ओर से नेगोशिएशन से मना करने पर जयपुर डेयरी ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू की ताे आरसीडीएफ अफसरों ने बीच में ही जांच कमेटी का गठन कर दिया।


पुरानी दर पर पैकिंग कराने की शिकायतें हुईं ताे एमडी ने बैठाई जांच कमेटी 
दूध की मात्रा बढ़ने के बाद भी उसी रेट में दूध पैकिंग कराने की शिकायत आने पर डेयरी एमडी राहुल सक्सेना ने नए प्लांट में दूध और घी पैकिंग के टेंडराें का रिव्यू करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी ने रिपोर्ट दी कि प्लेन छाछ, नमकीन छाछ, लस्सी पैकिंग और घी पैकिंग पहले की तरह ही हाे रहा है।


इनके टेंडर में परिवर्तन की जरूरत नहीं है, लेकिन नए प्लांट में हाे रही दूध पैकिंग के टेंडर की रेट में नेगोशिएशन करने की जरूरत है, क्योंकि पहले दूध पैकिंग का टेंडर 4.50 लाख लीटर प्रतिदिन के हिसाब से किया गया था। अब नए प्लांट में भी पुराने प्लांट में पैकिंग कर रही फर्म ही दूध पैकिंग का काम कर रही है। नए प्लांट में प्रतिदिन करीब 8 लाख लीटर दूध पैकिंग किया जा रहा है। इस हिसाब से कम रेट हाेनी चाहिए।
 


फर्म का तर्क- नेगाेशिएशन के लिए फर्म काे बुलाया ताे किया मना 
कमेटी की रिपोर्ट के बाद डेयरी एमडी ने मैसर्स गाेकलराम गुर्जर काे नेगोशिएशन के लिए नोटिस जारी किया। इसमें फर्म ने तर्क दिया कि मुझे जब टेंडर मिला था ताे डेयरी के नवीन और पुराना प्लांट संचालित हाे गए थे। इन प्लांटों में अलग-अलग पैकिंग कार्य दाे जगह हाेने से मेरे द्वारा नेगोशिएशन पश्चात 24.50 पैसे प्रति लीटर की दर दी गई, जिसे स्वीकृत करने से पूर्व निविदा कमेटी एवं प्रबंधन स्तर पर पूर्ण विचार हुए स्वीकृत किया गया था।


हर दिन एक लाख रुपए का फर्म काे फायदा: कमेटी ने बताया कि अगर टेंडर किया जाता है फर्म काे हर दिन 1 लाख और महीने में 30 लाख का फायदा हाे रहा है।  


नए प्लांट में दूध पैकिंग अधिक रेट पर कराने का मामला मेरे सामने भी आया था। मैंने अफसरों काे तत्काल टेंडर करने के लिए चिट्टी भी लिखी थी। पहले डेयरी अफसरों ने टेंडर करने में लापरवाही बरती। अफसर जानबूझ कर फर्म काे फायदा पहुंचा रहे हैं। इस संबंध में आगे भी शिकायत करूंगा।  
ओम प्रकाश पूनिया, चेयरमैन


एमडी के पास डेयरी मंत्री का पत्र आया था। एमडी से फाइल अनुमोदित हाेने के बाद मैंने जांच अधिकारी नियुक्त किया है। जांच अधिकारी काे एक महीने में रिपाेर्ट देनी थी। इसके आगे क्या हुआ मुझे पता नहीं है?